hardoi local news : हरदोई में डीएपी संकट का हल! 2,500 मीट्रिक टन खाद पहुंचने वाली है, जानिए कब शुरू होगा वितरण?
By Satish Kumar
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हरदोई। डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) की कमी से परेशान किसानों के लिए राहत की खबर है। शासन द्वारा 2,500 मीट्रिक टन डीएपी उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए डिमांड उच्चाधिकारियों को भेजी जा चुकी है और जल्द ही रेलवे के माध्यम से इफको (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव) की डीएपी व एनपीएस (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश) की रैक जिले में पहुंचेगी। डीएपी की कमी को लेकर पिछले एक सप्ताह से सहकारी समितियों पर खाद का भंडार समाप्त हो चुका है। वहीं, निजी दुकानों पर भी डीएपी की आपूर्ति बेहद कम हो गई है, जिससे किसानों को भारी परेशानी हो रही है।
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किसान एक-एक बोरी डीएपी के लिए भटक रहे
किसान अब एक-एक बोरी डीएपी के लिए भटकने को मजबूर हैं। उन्हें अपनी फसलों की बुवाई के लिए आवश्यक खाद नहीं मिल रही है। जिला कृषि अधिकारी डॉ. सतीश चंद्र पाठक ने बताया कि डीएपी की कमी के संबंध में उच्चाधिकारियों को पहले ही सूचित किया गया था और अब शासन से खाद की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए डिमांड भेजी गई है। उन्होंने बताया कि अगले दो से तीन दिनों में रेलवे के माध्यम से इफको की डीएपी और एनपीएस रैक जिले में आ जाएगी। इसके साथ ही, निजी दुकानों के लिए भी 1,200 मीट्रिक टन डीएपी की डिमांड भेजी गई है, जिसकी जल्द ही आपूर्ति की उम्मीद जताई जा रही है।
किसानों तक मजिस्ट्रेट की निगरानी में पहुंचेगी बोरी
डीएपी की आपूर्ति के बाद इसे किसानों तक पहुंचाने का काम मजिस्ट्रेट की निगरानी में किया जाएगा। किसानों को आवश्यकता के अनुसार खाद वितरित की जाएगी, जिससे उनकी फसल की देखभाल में कोई विघ्न न आए। इस प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता और सावधानी बरती जाएगी, ताकि किसानों को सही समय पर खाद मिल सके और उनकी फसलें समय पर बोई जा सकें।
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30 प्रतिशत प्राइवेट खाद का हुआ आवंटन
इसके अलावा, सहकारी समितियों को डीएपी उपलब्ध कराने के लिए शासन स्तर से 30 प्रतिशत प्राइवेट खाद का आवंटन किया गया है। इसका मतलब यह है कि अब सहकारी समितियों को प्राइवेट कंपनी की डीएपी का भी आवंटन किया जाएगा। इस व्यवस्था के तहत, किसानों को सरकारी कीमत पर 1,350 रुपये प्रति बोरी डीएपी का वितरण सुनिश्चित किया जाएगा। जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि यह कदम किसानों को खाद की आपूर्ति में राहत देने के लिए उठाया गया है, ताकि वे अपनी फसलों की समय पर बुवाई कर सकें और उत्पादन में कोई कमी न हो।