eta local news : योगी सरकार की बड़ी कार्रवाई, इस जिले में 24 बाबू किए जाएंगे बर्खास्त; जानें क्यों?
By Satish Kumar
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एटा। विशेष जांच टीम (एसआईटी) की जांच में 24 लिपिकों की नौकरी में गड़बड़ी सामने आई है। इसके बाद इन सभी की बर्खास्तगी की सिफारिश की गई है। एसआईटी ने जांच में पाया कि 30 दस्तावेज लेखकों में से जिन 24 को लिपिक बनाया गया, उनकी नियुक्ति से जुड़े अभिलेख ही नहीं हैं। कलक्ट्रेट से भी ये दस्तावेज गायब हैं। एसआईटी ने इनकी बर्खास्तगी कर अब दिए गए वेतन की वसूली की संस्तुति की है। इनमें से 15 दस्तावेज लेखक सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जिनकी पेंशन रोकी जाएगी।
वर्ष 1993 और 1995 में जिले के 30 दस्तावेज लेखकों का विनियमितीकरण कर लिपिक बना दिया गया था। इस मामले में गड़बड़ी की शिकायत शासन से की गई। इस पर 2023 में एसआईटी गठित की गई। तभी से जांच चलती रही। मामले में एसआईटी ने बुधवार शाम अपनी जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन को दे दी है। जांच में पाया कि कुल 24 कर्मचारियों के नियुक्ति अभिलेख गायब हैं। जब यह विनियमितिकरण हुआ तब एटा जिले में कासगंज शामिल था।
कासगंज जिले का अलग गठन होने पर विनियमित किए गए 30 कर्मचारियों में से 11 कर्मचारी वहां भेज दिए गए। इस समय यह कर्मचारी कासगंज जिले से ही संबद्ध हैं। वर्तमान में एटा में कार्यरत चार कर्मचारियों को सेवा से पदच्युत कर उनके द्वारा सेवाकाल में लिए गए सभी प्रकार के भुगतानों की वसूली के आदेश भी पूर्व में पारित किए गए थे।
जयराम सिंह के पिता हरिनंदन सिंह अलीगंज में वरिष्ठ सहायक थे, लेकिन पेंशन जयराम सिंह लेते रहे। इनसे वसूली की जाएगी। कई कर्मचारी ऐसे भी थे जो पूर्व में ही पदच्युत हो गए लेकिन सेवाकाल का भुगतान लेते रहे, उनसे भी वसूली होगी। जिनसे वसूली होने जा रही है, उनमें महेश कुमार यादव, नरेंद्र सिंह यादव, विनीत कुमार शामिल हैं। यह तीनों कार्यरत हैं। बच्चनलाल, सर्वेश कुमार शर्मा, दाउद खां, सरदार सिंह, अशोक कुमार, आराम सिंह, होतीलाल, वासुदेव, मोहम्मद इंतजार हुसैन, कैलाश नारायण, परशुराम, रतनपाल सिंह, रामरूप, रमेश चंद्र सेवानिवृत्त हैं। महेंद्र पाल सिंह पदच्युत श्रेणी में शामिल हैं। रियाजुद्दीन ने ज्वॉइनिंग नहीं की थी। पांच कर्मचारियों पर अभिलेख गायब करने का आरोप है।
दस्तावेज लेखकों को अवैतनिक तौर पर रखा जाता है, लेकिन उस समय प्रशासनिक अधिकारियों ने मिलीभगत कर स्थायी कर दिया। शासन ने जब इस पर आपत्ति जताई तो इन कर्मचारियों ने आवेदन और नियुक्ति संबंधी अभिलेख गायब कर दिए। लिपिक संवर्गीय पदों पर नियुक्ति दिखा दी। एसआइटी की जांच में यही तथ्य खुलकर सामने आए हैं।
इस तरह हुआ खेल
दस्तावेज लेखकों को अवैतनिक तौर पर रखा जाता है, लेकिन उस समय प्रशासनिक अधिकारियों ने मिलीभगत कर स्थायी कर दिया। शासन ने जब इस पर आपत्ति जताई तो इन कर्मचारियों ने आवेदन और नियुक्ति संबंधी अभिलेख गायब कर दिए। लिपिक संवर्गीय पदों पर नियुक्ति दिखा दी। एसआइटी की जांच में यही तथ्य खुलकर सामने आए हैं।
एडीएम प्रशासन एटा सत्यप्रकाश सिंह का कहना है कि दस्तावेज लेखकों (वसीका नवीसों) के विरुद्ध कार्रवाई करने की एसआईटी ने सिफारिश की है। विनियमितीकरण गलत पाया गया है। सेवाकाल में प्राप्त किए गए धन की वसूली कार्रवाई की जद में आने वाले कर्मचारियों से की जाएगी।