Agra News: दिव्यांग बेटी की हत्या कर खुद को मारने वाले पिता की दर्दभरी दास्तां, आठ महीने पहले छूट गई थी नौकरी

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आगरा। शादी के 16 वर्ष बाद रेखा और चंद्र प्रकाश की गोद खुशी आयी थी। माता-पिता की बेहद लाड़ली थी। पिता ने बेटी को 14 वर्ष में शायद ही कभी डांटा हो, उसे मारने के लिए किस तरह अपने हाथों से जहर दिया होगा, यह सोच कर बस्ती वालों के दिल कांप रहे थे। उन्होंने बेटी के लिए पिता का दुलार देखा था।

 

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पत्नी की मृत्यु के बाद घर से बहुत दूर नहीं जाते थे, आसपास की रहते थे। जिससे बेटी की एक आवाज पर उसके सामने हाजिर हो जाएं।

 

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नगला पदी के रहने वाले सुनील ने बताया कि बहन रेखा की शादी चंद्र प्रकाश से 30 वर्ष पहले हुई थी। काफी प्रार्थनाओं के बाद 16 वर्ष बाद रेखा के बेटी हुई थी। बहन और जीजा दोनों उसे बेहद प्यार करते थे। उसके जन्म के दो वर्ष बाद दंंपती काे पता चला कि खुशी पैरों से दिव्यांग है। उसे कुछ कदम तक चलने के लिए भी सहारे की जरूरत होती थी। उसका मस्तिष्क का विकास उम्र के अनुसार नहीं था।

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मां रेखा उसकी पूरी देखभाल करती थीं। मां ने बेटी की देखभाल के लिए रिश्तेदारी में आना-जाना कम कर दिया था। सुनील ने बताया चार वर्ष बहन रेखा की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई। देखभाल की सारी जिम्मेदारी जीजा चंद्र प्रकाश पर आ गई थी। उन्होंने घर पर ही बेटी को पढ़ाने के लिए ट्यूटर लगा रखा था। उन्होंने दो वर्ष पहले जीजा से खुशी को अपने साथ ले जाने को कहा था। जिससे कि वह परिवार के बच्चों के साथ घुलमिल कर रह सके। घर पर छानबीन करती पुलिस।

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बेटी के बिना रह सकते थे

चंद्र प्रकाश ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह बेटी के बिना नहीं रह सकते, उसके बिना अकेले हो जाएंगे। डेढ़ वर्ष पहले जब पता चला कि चंद्र प्रकाश शादी कर रहे हैं तो उनसे खुशी को अपने घर ले जाने की बात की थी। चंद्र प्रकाश का कहना था कि वह बेटी की देखभाल के लिए ही दूसरी शादी कर रहे हैं।

घर और बाहर की जिम्मेदारी में फंस गए थे

सुनील ने बताया जीजा ने एक वर्ष से उनसे बातचीत बंद कर दी थी। घर और बाहर की जिम्मेदारी में फंसे गए थे बस्ती में परिवार के करीबी लोगों ने बताया चंद्र प्रकाश घर और बाहर की जिम्मेदारी के बीच फंस गए थे। शादी के बाद बेटी की देखभाल को लेकर पत्नी से विवाद होने लगा। आठ महीने पहले नौकरी छूट गई। जिससे आर्थिक तंगी के हालात पैदा हो गए। जिसने चंद्र प्रकाश को गहरे अवसाद में ढकेल दिया था।

पोस्टमार्टम में जहर देने और फांसी लगाने की पुष्टि

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुशी की मृत्यु का कारण जहर देना बताया गया है। उसे कौन सा जहर दिया गया, इससे जानने के लिए विसरा सुरक्षित रखा है। जिसे जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेजा जाएगा। वहीं, चंद्र प्रकाश के आत्महत्या करने की पुष्टि हुई है।

पुलिस को नहीं मिला सुसाइड नोट

कटरा वजीर खां के 55 वर्ष के चंद्र प्रकाश जूता कारीगर थे। पत्नी रेखा की चार वर्ष पहले मृत्यु हो गई थी। वह पैरों से दिव्यांग 14 वर्षीय इकलौती बेटी खुशी के साथ मकान के भूतल पर रहते थे। प्रथम तल पर बड़े भाई इंद्रजीत रहते हैं। वह दिल्ली में एक निजी कंपनी से तीन वर्ष पहले सेवानिवृत्त हुए हैं। उनकी पत्नी और बच्चे दिल्ली में रहते हैं।

शुक्रवार सुबह आठ बजे इंद्रजीत छोटे भाई को चाय देने नीचे आए तो भतीजी खुशी कमरे में बेड पर मृ़त मिली। उसके मुंह से झाग निकल रहा था। जबकि चंद्र प्रकाश का शव रसोई में पंखे पर गमछे से लटका था। इंद्रजीत के शोर मचाने पर बस्ती के लोग जुट गए। पत्नी रेखा के भाई सुनील व अन्य स्वजन भी पहुंच गए। उन्होंने शव को नीचे उतारा। पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। 

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