जब 1 रुपया 13 डॉलर के बराबर हुआ करता था रुपये की कीमत में गिरावट क्यों हुई थी
रुपये की कीमत में गिरावट क्यों हुई थी: आज लगभग सभी लोग पैसे के पीछे भाग रहे है लेकिन एक तरह से पैसा के पीछे भागना जायज भी है क्योंकि आज कल पैसे के बिना कोई काम नहीं होता है. आज के दैनिक जीवन में हर छोटी बड़ी जरुरत के लिए पैसो की आवश्यकता होती है. आज हम आपको हमारे भारत देश के रूपए के बारे में कुछ दिलचस्प जानकारी देने वाले है जो आप शायद इससे पहले भी जानना चाहते थे.
रुपये में गिरावट के कारण
हमारे भारत में करंसी का इतिहास करीब 2500 साल पुराना हैं. सन 1917 में एक रुपया 13 डॉलर के बराबर हुआ करता था लेकिन जब 1947 में भारत आजाद हुआ, एक रूपया एक डॉलर कर दिया गया. आजादी के वक्त देश पर कोई कर्ज नहीं था लेकिन 1951 में पहली पंचवर्षीय योजना के लिए सरकार ने कर्ज लिया तब 1948 से 1966 के बीच एक डॉलर कीमत 4.66 रूपए के आसपास रहा थी.
फिर धीरे रूपए की कीमत कम होने लगी. 1975 में एक डॉलर की कीमत 8.39 रूपए हो गयी इसके बाद 1985 में एक डॉलर 12 रूपए के बराबर हो गया था.
रूपए की कीमत में गिरावट यंही नहीं रुकी 1991 में बेतहाशा मंहगाई, विकास दर कम होना और विदेशी रिर्जव कम होने से एक डॉलर 17.90 रूपए पर पहुंच गया. 1993 में एक डॉलर की कीमत 31.37 रूपए हो गयी. 2000 से 2010 के दौरान यह एक डॉलर की कीमत 40 से 50 रूपए तक पहुंच गई.
2013 में तो यह हद पार हो गई और यही एक डॉलर की कीमत 65.50 रूपए तक पहुंच गई. अभी के समय भी रूपए की कीमत धीरे धीरे गिर रही है आज एक डॉलर की कीमत करीब 82 रूपए है.
निष्कर्ष
तो अब आप जान गए होंगे कि रुपये की कीमत में गिरावट क्यों हुई थी वैसे किसी देश की मुद्रा की कीमत से यह नहीं कहा जा सकता कि उसकी कीमत ज्यादा है तो वह सबसे ज्यादा अमीर होगा क्योंकि दुनिया की सबसे महंगी करंसी अमेरिका की डॉलर नहीं बल्कि कुवैत की दीनार है जिसमें 1 दीनार 3.25 डॉलर के बराबर हैं.