पूरी तरह से टूट चुकी शादी...देश के सर्वोच्च न्यायालय से फिर चौंकाने वाला मामला
नई दिल्ली ! भारत में जन्मे और अमेरिका में एक सफल आईटी कंसल्टेंसी सेवा चलाने वाले एक व्यक्ति को शादी और तलाक की भारी कीमत चुकानी पड़ी। नवंबर 2020 में अपनी पहली पत्नी को 500 करोड़ रुपये के गुजारा भत्ते के रूप में देने के बाद, अब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दूसरी पत्नी को 12 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया है।
आमरण अनशन के बीच बड़ी खबर सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और पंकज मिथल की पीठ ने दूसरी पत्नी की मांग को खारिज करते हुए कहा कि पहली पत्नी के साथ कई वर्षों तक वैवाहिक जीवन बिताने की तुलना में दूसरी पत्नी का मामला अलग है। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने अपने 73 पेज के निर्णय में लिखा, "हमें उस प्रवृत्ति पर गंभीर आपत्ति है, जहां पक्षकार अपने जीवनसाथी की संपत्ति, स्थिति और आय को आधार बनाकर समान धनराशि की मांग करते हैं।" उन्होंने सवाल उठाया कि अगर जीवनसाथी की संपत्ति अलग होने के बाद कम हो जाए, तो ऐसी मांगें क्यों नहीं की जातीं?
अदालत ने कहा कि गुजारा भत्ता का उद्देश्य अलग हो चुकी पत्नी को गरीबी से बचाना, उसकी गरिमा बनाए रखना और सामाजिक न्याय प्रदान करना है। पीठ ने कहा, " कानून के अनुसार, पत्नी को यथासंभव वैसी ही जीवनशैली में रहने का अधिकार है जैसी वह अपने वैवाहिक घर में रहती थी जब दोनों साथ रहते थे। लेकिन एक बार जब पति-पत्नी अलग हो जाते हैं, तो पति से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह जीवन भर अपनी वर्तमान स्थिति के अनुसार पत्नी का खर्च उठाता रहे।"
अदालत ने यह भी कहा कि अगर पति अलग होने के बाद जीवन में बेहतर कर रहा है, तो उससे यह कहना कि वह हमेशा पत्नी की स्थिति को अपनी बदलती स्थिति के अनुसार बनाए रखे, उसकी व्यक्तिगत प्रगति पर बोझ डालना होगा। अदालत ने सवाल उठाया, "अगर पति अलग होने के बाद दुर्भाग्यवश गरीब हो जाए, तो क्या पत्नी अपनी संपत्ति को बराबरी पर लाने की मांग करेगी?" सुप्रीम कोर्ट ने ₹12 करोड़ के गुजारा भत्ते को उचित मानते हुए कहा कि यह दूसरी पत्नी को उसकी जरूरतों और स्थिति के आधार पर दिया जा रहा है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि गुजारा भत्ता का उद्देश्य सामाजिक न्याय और गरिमा की रक्षा करना है, न कि जीवनसाथी की संपत्ति के साथ बराबरी करना।