Who is operator in stock market in hindi ? शेयर बाजार में ऑपरेटर कौन होते हैं ?
हाइलाइट॒स -•
शेयर बाजार में ऑपरेटर कौन होते हैं ?
शेयर बाजार में ऑपरेटर कितने प्रकार के होते हैं ?
किस शेयर में ऑपरेटर ज्यादा Active होते हैं |
ऑपरेटर से कैसे बचे |
1 शेयर मार्केट का परिचय-
वैसे इंडियन मार्केट की बात करें तो इसकी वैल्यू लगभग 90 लाख करोड के आस पास है और इसमें 5000 कंपनियां लिस्टेड है इन शेयरो की डेली ट्रेडिंग होती है, इंडियन मार्केट की खास बात इंडिया एक ऐसा देश है जहां पर दो बड़े एक्सचेंज हैं | NSE और BSE . बाकी सब देशों में एक एक्सचेंज है |
Note - world मार्केट मैं जो लीडर है वह US मार्केट है, फिर उसके बाद यूरोपीयन मार्केट आता है, फिर उसके बाद एशियन मार्केट आता है |
NSE पर जितनी भी कंपनियां लिस्टेड है उनके अकाउंट को NSDL ( नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड ) मैनेज करता है | NSE Big Player , institutional Player, mutual Funds, बड़े-बड़े लोगों का डिमैट अकाउंट होल्ड करता है.इसका Earning ज्यादा है . और कम अकाउंट होल्ड रखता है |
BSE पर जितनी भी कंपनियां लिस्टेड है उनके अकाउंट को CDSL
( सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विस लिमिटेड ) मैनेज करता है। CDSL BSE के अंडर में आता है, यह रिटेल लोगों का ज्यादा अकाउंट होल्ड करता है, इसका Earning काम है, और उनके पास ज्यादा अकाउंट है |
इसलिए nifty 50 , sencex इंडिया के दो मेजर इंडेक्स हैं |
Nifty मैं 50 कंपनी लिस्टेड है जो पूरे मार्केट के मुड को रिप्रेजेंट करता है | निफ्टी 50 में बड़ी-बड़ी कंपनियां लिस्टेड होती है | अगर किसी भी कंपनी को निफ्टी 50 में आना है तो उसको 6 क्राइटेरिया को Full Fill करना होता है | उसके बाद वह nifty 50 में आ सकता है |
2- शेयर बाजार में ऑपरेटर कौन होते हैं ?
अपने पर्सनल लाभ के लिए जो share का भाव मेनूप्लेट करता है, या ऊपर नीचे करता है उसे ऑपरेटर कहते हैं |
स्टॉक ऑपरेटर शेयर बाजार में बड़े ट्रेडर या निवेशक होते हैं. जैसे -institutional Player, mutual Funds, NHI , ये लोग अक्सर किसी शेयर की कीमत को ज्यादा वॉल्युम के साथ गलत तरीके से बढ़ाते हैं. हालांकि, शेयर बाजार में स्टॉक प्राइस को मैन्युप्लेट करना गलत है यानी गलत इरादे से शेयरों के भाव में हेर-फेर करना अपराध है. आपने अक्सर देखा होगा कि अक्सर किसी शेयर में जबरदस्त तेजी आती है. कोई स्टॉक लगातार अपर सर्किट लगाता है. इस तेजी को देखकर आम निवेशक इन शेयरों को खरीदकर लाभ कमाने की इच्छा रखते हैं, लेकिन जैसे ही वे शेयरों को खरीदते हैं इसके बाद भाव गिरना शुरू हो जाता है | और रिटेल निवेशक ऑपरेटर के जाल में फंस जाते हैं |
3 - बाजार में ऑपरेटर कितने प्रकार के होते हैं ?
शेयर बाजार में ऑपरेटर बहुत प्रकार के होते हैं , जिनके पास पैसा बहुत ज्यादा है उसे ऑपरेटर कहते हैं |
जैसे - बड़े-बड़े ब्रोकर , बड़ी-बड़ी संस्था , FII , DII , NRI , Mutual funds , इन लोगों के पास इतनी ज्यादा मात्रा में पैसा होता है कि यह जीस शेयर को चाहे मेनूप्लेट कर दें, share का भाव जब चाहे ऊपर नीचे करते हैं |
ऑपरेटर का पता हम वॉल्यूम और कैंडल स्टिक के स्ट्रैंथ और वीकनेस से पता लगा सकते हैं, की किस शेयर में वॉल्यूम ज्यादा बढ़ रहा है और बड़ी-बड़ी कैंडल बन रही है |
ऑपरेटर के ट्रैप से बचने के लिए हमें वॉल्यूम और कैंडल स्टिक का आना बहुत जरूरी हो जाता है, इसलिए हम सबको वॉल्यूम और कैंडल स्टिक के ऊपर ज्यादा फोकस करना चाहिए |
4- किस शेयर में ऑपरेटर ज्यादा Active होते हैं |
Penny शेयर में ऑपरेटर ज्यादा एक्टिव होते हैं ,पैनी स्टॉक्स वो स्टॉक्स होते है, जिनकी Share Price बोहोत कम होती हैं। जिन शेयर्स की प्राइस बहुत कम होता है , उन्हें penny share कहते हैं।
जो नए ट्रेडर या इन्वेस्टर होते हैं , पैनी स्टॉक्स, का भाव कम होने के कारन उसके तरफ आकर्षित होते हैं , और उसमे ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग शुरू करते हैं। जब कभी Circuit लगता हैं , तो उस शेयर में buying और selling रुक जाती हैं। और यहां पर रिटेल इन्वेस्टर फस जाते हैं, इसलिए पेनि share को short टाइम के लिए खराब माना जाता है |
पेनी share में कोई कैंडलेस्टिक काम नहीं करता सिर्फ यहां पर मैन्युप्लेसन होता है, बड़े फ्लेयरों द्वारा
जैसे - किसी शेयर का मूल्य ₹5 से बढ़ाकर ₹15 तक कर दिया गया ऑपरेटर के भाषा में इसे पंप करना कहते हैं, जब इसी शेयरो को ₹15 से घटकर ऑपरेटर ₹2 तक लाता है, तो इसे मैनिपुलेशन कहते हैं या डंप करना कहते हैं पंप और डंप ऑपरेटर द्वारा किया जाता है छोटे शयरों में ,
5 - ऑपरेटर से कैसे बचे
शेयर बाजार में अगर हमको ऑपरेटर से बचाना है , तो हमें प्रॉपर नॉलेज होना जरूरी है अगर हमको मार्केट के बारे में प्रॉपर नॉलेज नहीं रहेगा तो हम ऑपरेटर को नहीं पहचान पाएंगे कि ऑपरेटर कहां पर Buying,Selling कर रहे हैं , ऑपरेटर के पैरों के निशान पकड़ने के लिए हम वॉल्यूम और कैंडल स्टिक का प्रयोग करते हैं |
ऑपरेटर लोग रिटेलर के साइकोलॉजी पर अपना ट्रेड प्लान करते हैं , ऑपरेटर को सब मालूम है कि रिटेलर कहां पर Active और कहां पर पैनिक होगा रिटेलर लोग ज्यादातर सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस के पास अपना पोजीशन बनाते हैं , सपोर्ट ब्रेकडाउन पर रिटेलर लोग सेल का पोजीशन बनाते हैं तो ऑपरेटर उनको ट्रैप करके ऊपर की तरफ चला जाता है | ठीक उसी प्रकार रेजिस्टेंस के पास जब रिटेलर लोग रेजिस्टेंस ब्रेक होने पर up का ट्रेड बनाते हैं तब ऑपरेटर उनको ट्रैप करके नीचे चला आता है , या नहीं रेजिस्टेंस ब्रेकडाउन कर देता है ऑपरेटर रिटेलर को अच्छी तरह से समझता है , अगर हमको ऑपरेटर से बचाना है तो हमें ट्रैप ट्रेडिंग का कॉन्सेप्ट समझना पड़ेगा की ट्रैप ट्रेडिंग क्या होती है
ट्रैप ट्रेडिंग के अंतर्गत हम लोग कोई ब्रेकआउट नहीं use करेंगे , ना कोई चार्ट पेटर्न use करेंगे , ना कोई इंडिकेटर use करेंगे ना कोई ग्लोबल मार्केट use करेगे | तो ट्रैप ट्रेडिंग के अंतर्गत हम लोग क्या उसे करेंगे |
Trape Treding के अंतर्गत हम लोग only ट्रैप ट्रेडिंग use करेंगे 50% रूल use करेंगे लॉजिक और साइकोलॉजी के बेस पर ट्रेड लेना use करेंगे Fibonacci का use करेंगे एक चार्ट पर मल्टी टाइम फ्रेम का use करेंगे |
मार्केट का सिंपल सा फंडा जो सबको दिखता है वह काम नहीं करता 95% लोगों के जैसा हमें काम नहीं करना है हमें सिर्फ 5% लोगों के जैसा काम करना है |
ऑपरेटर को सब मालूम है की youTubero द्वारा रिटेल लोगों को Bookes नॉलेज सिखाया जाता है ,चार्ट पेटर्न सिखाया जाता है, इंडिकेटर सिखाया जाता है | जो काम नहीं करता | अगर मार्केट में कोई चीज काम करता है , तो वह है ट्रैप ट्रेडिंग तो ट्रैप ट्रेडिंग को हमको सीखना चाहिए |