Laapataa Ladies Movie Review: दो लड़कियों की अनोखी कहानी, हास्य-ड्रामा के साथ सामाजिक मुद्दों की झलक

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Laapataa Ladies Movie Review: मुंबई, 23 सितंबर 2023: किरण राव की बहुप्रतीक्षित फिल्म “लापता लेडीज” ने बॉक्स ऑफिस पर दस्तक दे दी है। यह हल्की-फुल्की कॉमेडी-ड्रामा, ग्रामीण भारत की पृष्ठभूमि में 2001 के समय को दर्शाती है, जिसमें दो युवतियों की अनोखी यात्रा दिखाई गई है। शादी के बाद ट्रेन में खो जाने वाली इन लड़कियों की कहानी दर्शकों को हंसाने के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर करती है।

बॉलीवुड फिल्मकार किरण राव की फिल्म ‘लापता लेडीज’ को ऑस्कर 2025 के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में चुना गया है। भारत ने आधिकारिक तौर पर 97वें अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म श्रेणी के लिए इस फिल्म का चयन किया है। इस घोषणा की पुष्टि फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया (एफएफआई) के निर्णायक मंडल ने की है।  किरण राव द्वारा निर्देशित और आमिर खान द्वारा निर्मित इस फिल्म का उद्देश्य भारतीय सिनेमा को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करना है, साथ ही यह महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को उजागर करने का प्रयास करती है।

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फिल्म की कहानी समाज में महिला सशक्तिकरण और छोटे शहरों की चुनौतियों को रोचक अंदाज में प्रस्तुत करती है। नितांशी गोयल और प्रतिभा रांटा ने मुख्य भूमिकाओं में बेहतरीन प्रदर्शन किया है, जबकि छाया कदम का सशक्त अभिनय भी दर्शकों को प्रभावित करता है।निर्देशक किरण राव ने फिल्म में ग्रामीण जीवन का यथार्थवादी चित्रण किया है। फिल्म का संगीत और सिनेमैटोग्राफी भी सराहनीय है, जो कहानी के साथ बखूबी मेल खाती है। हालांकि, कुछ जगहों पर फिल्म की गति थोड़ी धीमी हो जाती है, पर हास्य और भावनाओं का तालमेल इसे देखने लायक बनाता है।
 

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फ़िल्म का नाम: लापता लेडीज
निर्देशक: किरण राव
मुख्य कलाकार: नितांशी गोयल, प्रतिभा रांटा, छाया कदम
शैली: कॉमेडी-ड्रामा
रिलीज़ डेट: 2023

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कहानी: किरण राव द्वारा निर्देशित “लापता लेडीज” एक हल्की-फुल्की कॉमेडी-ड्रामा है, जिसमें 2001 के ग्रामीण भारत की पृष्ठभूमि को दिखाया गया है। यह कहानी दो युवा लड़कियों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो शादी के बाद ट्रेन में खो जाती हैं। एक अजीब सी घटना के बाद, दोनों लड़कियां अपनी नई जिंदगी में खो जाती हैं और एक दूसरे से अलग हो जाती हैं। इसके बाद की यात्रा, जिसमें वे खुद को ढूंढने के लिए संघर्ष करती हैं, कहानी का मुख्य भाग है। फिल्म में महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण जीवन और छोटे शहरों की चुनौतियों को हास्य के साथ पेश किया गया है।

निर्देशन:
किरण राव की निर्देशन शैली सरल और प्रभावी है। उन्होंने ग्रामीण भारत की पृष्ठभूमि को खूबसूरती से चित्रित किया है। फिल्म में कॉमेडी के साथ सामाजिक मुद्दों को संतुलित तरीके से पेश किया गया है। किरदारों के विकास और उनके साथ होने वाली घटनाओं को बड़ी सहजता से दिखाया गया है।

अभिनय: नितांशी गोयल और प्रतिभा रांटा ने अपने-अपने किरदारों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। उनका अभिनय स्वाभाविक लगता है और दर्शकों को उनसे जुड़ने में आसानी होती है। छाया कदम का अभिनय भी सराहनीय है, और उन्होंने एक सशक्त महिला की भूमिका को पूरी शिद्दत से निभाया है।

संगीत: फिल्म का संगीत कहानी की थीम के अनुरूप है और इसे बेहतर बनाता है। गाने कहानी के साथ अच्छी तरह से मेल खाते हैं और कहीं भी कहानी की गति को धीमा नहीं करते।

सिनेमैटोग्राफी: ग्रामीण भारत की सजीवता और प्राकृतिक सुंदरता को फिल्म के कैमरामैन ने बखूबी कैद किया है। दृश्यावलियाँ फिल्म की ताकत हैं और वे दर्शकों को कहानी के साथ बनाए रखते हैं।

फिल्म की खास बातें:

  1. ग्रामीण जीवन का असली चित्रण
  2. सशक्त महिला किरदार
  3. हास्य और सामाजिक संदेश का अच्छा मिश्रण

कमज़ोर पहलू: फिल्म की गति कुछ जगहों पर धीमी हो जाती है, जिससे कहानी थोड़ा खींची हुई लग सकती है। कुछ दृश्यों में अधिक गहराई की कमी महसूस होती है।

अंतिम राय: “लापता लेडीज” एक मनोरंजक फिल्म है, जो हल्के-फुल्के अंदाज में गहरे सामाजिक मुद्दों को उठाती है। किरण राव की यह फिल्म उनके पहले की फिल्मों की तरह ही ताजगी भरी है और दर्शकों को हंसाने के साथ-साथ सोचने पर मजबूर करती है। यह फिल्म उन दर्शकों के लिए है जो कुछ नया और सशक्त देखना पसंद करते हैं।

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