मोदी सरकार की पहल रंग लाई, देश में टीबी के मामलों में 17.7 फीसदी की आई कमी, WHO ने भी की तारीफ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत में टीबी रोगियों की संख्या में ऐतिहासिक कमी आने पर सराहना की है। डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में 2015 के मुकाबले 2023 में टीबी के मामलों में 17.7 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत की उपलब्धि का तहे दिल से स्वागत किया है। पिछले हफ्ते जारी अपनी रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ ने स्वीकार किया है कि भारत ने साल 2015 के बाद से टीबी मामलों को कम करने में जबरदस्त प्रगति की है। ऐसी प्रगति अब तक किसी अन्य देश में देखने को नहीं मिली है।
भारत की उपलब्धि से डब्ल्यूएचओ खुश
आप को बता दें कि वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ की शुरुआत की थी। उसी दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि दुनिया ने टीबी को समाप्त करने के लिए 2030 तक समय तय किया है, लेकिन भारत ने अपने लिए ये लक्ष्य 2025 तय किया है।
भारत ने उठाए ऐतिहासिक कदम
डब्ल्यूएचओ ने तारीफ करते हुए कहा है कि भारत ने टीबी के मामलों को कम करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। इसके परिणामस्वरूप, साल 2015 में एक लाख की जनसंख्या पर 237 टीबी के मरीज थे, जो 2023 में घटकर 195 पर पहुंच गए। इसकी वजह से भारत में टीबी मरीजों के मामलों में 17.7% की गिरावट आई, जो 8.3% की वैश्विक गिरावट की तुलना में दोगुनी से भी ज्यादा है।
मृत्यु दर में भी आई कमी
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वर्तमान रिपोर्ट में भारत में टीबी से होने वाली मौतों की संख्या में लगातार कमी दर्ज की गई है, पहले प्रति एक लाख की जनसंख्या पर 28 मौत होती थी, वो अब घटकर 22 पर पहुंच गई है। यह 21.4% की गिरावट दर्ज की गई है।
देश टीबी मुक्त होने की ओर अग्रसर
इस रिपोर्ट पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ” हम टीबी मुक्त भारत बनाने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2015 से 2023 तक टीबी के केसों में 17.7% की गिरावट के साथ भारत की उल्लेखनीय प्रगति की सराहना की है। यह दर 8.3% की वैश्विक गिरावट के दोगुने से भी अधिक है। यह स्वीकृति टीबी देखभाल और नियंत्रण के प्रति भारत के परिवर्तनकारी दृष्टिकोण को दर्शाती है।
पीएम के दूरदर्शी नेतृत्व में, हमारी सरकार ने टीबी रोगियों को आवश्यक पोषण सहायता प्रदान करने के लिए निक्षय पोषण योजना और मल्टी ड्रग प्रतिरोधी तपेदिक के लिए एक उपन्यास उपचार, बीपीएएलएम आहार की शुरुआत जैसी पहल करके राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम का विस्तार और सुदृढ़ीकरण किया है।”
मोदी सरकार की पहल अनुकरणीय
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि भारत सरकार रोग के खिलाफ राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम चला रखा है, जिसके बजट आवंटन में 5.3 गुना की बढ़ोतरी की गई। साल 2015 में बजट आवंटन 640 करोड़ रुपए था, जो बढ़कर 2022-23 में 3400 करोड़ रुपये हो गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि टीबी कार्यक्रम का अधिकांश पैसा सरकारी संसाधनों से आता है।
पिछले कुछ सालों में, भारत अत्याधुनिक आणविक निदान उपकरणों को बढ़ाने, नए और अधिक प्रभावी उपचार आहार पेश करने और सभी टीबी रोगियों को मुफ्त जांच, निदान और इलाज प्रदान करने में सक्षम रहा है। इसके अलावा, भारत में प्राइवेट अस्पताल भी इस मुहिम में बढ़ चढ़कर भाग ले रहे हैं। साल 2023 में मिले कुल टीबी मामलों में 32.9% की पहचान निजी अस्पतालों में की गई है।
वहीं, भारत में 800 से ज्यादा एआई-सक्षम पोर्टेबल चेस्ट एक्स-रे मशीनें स्थापित हैं जो कि पूरी दुनिया में सबसे अधिक है। इनके अलावा 7,767 त्वरित आणविक परीक्षण सुविधाएं और 87 कल्चर और औषधि संवेदनशीलता परीक्षण प्रयोगशालाएं देश भर में फैली हैं।
निक्षय पोषण योजना से भी हुआ लाभ
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में टीबी मरीजों को दी जा रही पोषण आहार को लेकर सहायता को जमकर सराहा। केंद्र सरकार ने इस साल अक्टूबर में निक्षय पोषण योजना (NPY) के तहत हर महीने दी जा रही 500 रुपये की राशि को बढ़ाकर एक हजार रुपये कर दिया। इसके तहत अभी तक 1.13 करोड़ लाभार्थियों को 3,202 करोड़ रुपये सीधे बैंक खाते में भेजे गए हैं।
वहीं, एनर्जी डेंस न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट से लगभग 12 लाख अल्पपोषित टीबी रोगियों को कवर किया जाएगा। इसके अलावा, स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीबी रोगियों के घरेलू संपर्कों के लिए निक्षय मित्र पहल जारी है, जिसके तहत मरीजों को गोद लिया जा रहा है और भोजन की टोकरी को बांटा जा रहा है। इससे टीबी मरीजों और उनके परिवारों पर जेब खर्च में काफी कमी आएगी।