Premchand ka Jivan Parichay – प्रेमचंद का जीवन परिचय
Munshi Premchand biography l premchandra jivan Parichay मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय तथा साहित्यिक परिचय भाषा शैली
अध्यापक की नौकरी करते हुए इन्होंने फ और बा पास किया स्कूल मास्टरी के रास्ते पर चलते-चलते सन 1921 में वह गोरखपुर के स्कूलों में डिप्टी इंस्पेक्टर बन गए जब गांधी जी ने सरकारी नौकरी से इस्तीफा का बिगुल बजाया तो उनके सुनकर प्रेमचंद ने फिर तुरंत त्यागपत्र दे दिया उसके बाद कुछ दिनों तक इन्होंने कानपुर के मारवाड़ी स्कूल में अध्यापन किया और काशी विद्यापीठ में प्रधान अध्यापक नियुक्त हुए इसके बाद अनेक पत्र पत्रिकाओं का संपादन करते हुए काशी में प्रेस खोल सन 1934 35 में अपने 8000 वार्षिक वेतन पर मुंबई की एक फिल्म कंपनी में नौकरी कर ली जालंधर रोग के कारण 18 अक्टूबर 1936 दिन काशी स्थित उनके गांव में इनका स्वर्गवास हो गया।
साहित्यिक परिचय -प्रेमचंद जी में साहित्यिक सूजन की जन्मदाता प्रभाव विद्यमान थी आराम से नवाब राय के नाम से उर्दू भाषा में कहानी और उपन्यास लिखने थे उनकी सजे 1 तन नमक क्रांतिकारी रचना में स्वाधीनता संग्राम में ऐसी हलचल मचाई की अंग्रेजी सरकार ने उनकी यह प्रति जप्त कर ली थी बाद में प्रेमचंद नाम रखकर हिंदी साहित्य की साधना की और लगभग एक दर्जन उपन्यास और 300 कहानी लिखी इसके अतिरिक्त इन्होंने माधुरी और मर्यादा पत्रिकाओं का संपादन किया तथा हंस वी जागरण नामक पत्र का प्रकाशन किया!
अपने कथा साहित्य के माध्यम से तत्कालीन निम्न व मध्यम वर्ग का सच्चा चित्र प्रस्तुत करके प्रेमचंद की भर्तियों के हृदय में समा गए सच्चे अर्थों के क्रम के सिपाही और जनता के दुख दर्द के गायक इस महान कथाकार को भारतीय साहित्य जनता में उपन्यास सम्राट की अवधि से विभूति किया गया!